जलवायु प्रदूषण
जल वायु प्रदूषण का मुख्य कारण खनिज ईंधन के द्वारा प्रदूषण फैला जाना है । खेती
की पराली जलाए जाने से सामूहिक रुप से धूम्र प्रदूषण फैलता है जिससे कार्बन डाइऑक्साइड वा सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा वातावरण में खतरनाक इंडेक्स तक बढ़ जाती है ।जंगलों में लगने वाली आग व जंगलों की कटाई प्रदूषण का स्तर बढ़ाने में सहायक होते हैं ।हरे भरे वृक्षों को काटकर ग्लोबल वार्मिंग का खतरा तो बढ़ता है, साथ में मौसम में आसामयिक परिवर्तन होने लगता है।
बीमारियां -वायु प्रदूषण से श्वसन संबंधी रोग दमा, क्षय रोग , सर्दी जुखाम, निमोनिया, एलर्जी हो जाता है। एलर्जी त्यागी रोग हो जाते हैं।
त्वचा
संबंधी रोग -एलर्जिक एक्जिमा खुजली ,इत्यादि
ग्लोबल लेवल वार्मिंग बढ़ने से हीट स्ट्रोक व निर्जलीकरण
हो जाता हैं ।
रोकथाम – प्रथम हरी-भरी वृक्षों का संरक्षण किया जाना चाहिए।
त खनिज आधारित फ्यूल पर निर्भरता समाप्त की जानी चाहिए।
और सौरउर्जा व वायु उर्जा का प्रयोग अधिकतम किया जाना चाहिए।
प्रकृति से दूरी न बनाकर प्रकृति के सामीप्य का अनुभव करने से सुखी जीवन व संतुलित पर्यावरण प्राप्त किया जा सकता है।
डा. प्रवीण कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ परामर्श दाता
जिला चिकित्सालय सीतापुर।