जलधर बरसे
जनहरण घनाक्षरी (पहले ३० वर्ण लघु,अंत में दीर्घ होता है)
उमड़-घुमड़ कर, गिरि, नभ-तल, पर।
झर-झर, रुचिकर, जलधर बरसे।।
गगन विकटतम, नग-सम,अनुपम।
अप्रकट रवि-शशि, तम दिवि भर से ।।
सरस विमल जल, धवल अवनितल ।
नरम-हरित व्रण, हलधर हरषे ।।
उड़-उड़, झड़-झड़,अघट उपल-कण ।
फणिधर, वनचर, नभचर तरसे ।।