जय माँ दुर्गा देवी,मैया जय अंबे देवी…
जय माँ दुर्गा देवी ,मैया जय अंबे देवी….
तेरे नौ रूपों के दर्शन माँ
मैं नवरात्रों में पाती,
पहला रूप माँ तेरा ,शैलपुत्री
शैली का अर्थ होवे पर्वत
पर्वत राज हिमालय की तुम पुत्री
तुमको माँ कहते देवी पार्वती ।
जय मां शैलपुत्री देवी, मैया जय दुर्गा देवी….
दूसरा रूप माँ तुम्हारा ब्रह्मचारिणी ब्रह्म का अर्थ: तपस्या,
कठोर तपस्या का आचरण
करने वाली देवी ।
जय माँ ब्रह्मचारिणी देवी, मैया जय अंबे देवी….
तीसरा रूप माँ तुम्हारा चंद्रघंटा
देवी के मस्तक पर अर्धचंद्र के समान तिलक विराजमान इसलिए कहते माँ चंद्रघंटा।
जय माँ चंद्रघंटा देवी ,मैया जय दुर्गा देवी…..
चौथा रूप माँ कुष्मांडा
जिसमें शक्ति ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की
उदर से अंड तक अपने भीतर
ब्रह्मांड को समेटे माता रानी।
जय माँ कुष्मांडा देवी, मैया जय अंबे देवी…..
पाँचवाँ रूप माँ स्कंदमाता कार्तिकेय की माँ,
माता पार्वती कार्तिकेय का दूजा नाम स्कंध,
स्कंद की माता स्कंदमाता कहलाती ।
जय माँ स्कंद माता ,मैया जय अंबे देवी….
छठा रूप माँ कात्यायनी
जब बढ़े अत्याचार भू पर ,
तब भगवान ब्रह्मा ,विष्णु, महेश
के अंश से उत्पन्न महिषासुर घाती
इस देवी की सर्वप्रथम पूजा
महर्षि कात्यायन ने की।
जय माँ कात्यानी देवी, मैया जय अंबे देवी…..
सातवां रूप माँ कालरात्रि,
काल यानि, हर संकट को जड़ से
खत्म कर देने की शक्ति
वह माँ कालरात्रि, शुभ फल देवत हमको
राक्षसों का वध करने वाली ।
जय माँ कालरात्रि देवी, मैया जय अंबे देवी…
आठवां रूप महागौरी
शिव के तप में पड़ गई काली
,प्रसन्न हुए भोले और पत्नी रूप में स्वीकार की,
गंगा के पवित्र जल से नहलाया,
विद्युत प्रभा के समान अत्यंत
कांतिमान -गौर हो उठी।
जय माँ महागौरी देवी, जय मैया अंबे देवी ……
ननवा रूप माँ सिद्धिदात्री,
अपने भक्तों को सर्व सिद्धियाँ प्रदान करने वाली ,
भक्त के कठिन से कठिन काम को सरल कर जाती।
जय माँ सिद्धिदात्री, जय मैया अंबे गौरी…..
माँ मैं तेरे ,नौ रूपों के दर्शन, नवरात्रों में कर पाती ।…..
हरमिंदर कौर
अमरोहा (यूपी )
मौलिक रचना