जय जयकार
*व्यंग्य
जय जयकार के नारों में,
शामिल कुछ लोग,
घर वापिस लौटे,
घर के भीतर,
नजारे, कुछ ऐसे थे,
भीतर चाम, माँस के लोथड़े,
बाहर थे ..
अहित कर आये थे,
पाप हो गया था, उनसे.
एक सेवक को मालिक,
बना आये थे, शायद.
.
वे अपने सब अधिकार.
यानि Power of Attorney
लिखित उनको दे आये थे,
.
अब तुम्हारे सिर्फ़ *कर्तव्य
हाथ में थोपे जायेंगे.
सत्संग के नाम पर.
सुनते रहो.. झूठ
तुम्हारे पल्लू सदा भरे रहे.