जमीर
जमीन तलाश लो अपनी,
खंड खंड है सबकुछ.
अखण्ड कुछ भी नहीं,
जमीर को तलाश जरा.
जमीन नही,
दो जून की रोटी के
मोहताज पावोगे.
जमीन तलाश लो अपनी,
खंड खंड है सबकुछ.
अखण्ड कुछ भी नहीं,
जमीर को तलाश जरा.
जमीन नही,
दो जून की रोटी के
मोहताज पावोगे.