जमना पुलिन आजु…
?? घनाक्षरी ??
जमना पुलिन माहिं
आजु खड़े चन्द्रकांत
राह तकें राधिका की धीर नांहि धारते।
पूछ-पूछ गोप-ग्वाल
मुरली में देत ताल
स्वामिनी कौ नाम बेर-बेर हैं पुकारते।
आत लखीं राधिका जू
खिल रही चन्द्रिका सी
तन मन धन सिग कान्ह छवि वारते।
जाय रहे बलिहार
‘तेज’ करें मनुहार
फेर-फेर कनखीं सों राधिका निहारते।
उर गति लखि श्याम
लजि रहे कोटि काम
शोभा दिव्य लालजू की राधे बलिहार हैं।
मुरली सों टेर नाम
हर्ष रहे सुखधाम
‘तेज’ सों मिल्यौ है रूप दोउ सुखसार हैं।
लखि-लखि तिहुँलोक
अद्भुत अनूप छवि
ब्रजराज स्वामिनी जू निज सरकार हैं।
कोटि चन्द्र चन्द्रकांत
राधिका जू चन्द्रहास
भक्तन कूं खेंच-खेंच करें भवपार हैं।
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?तेज मथुरा✍