दरोगा तेरा पेट
जब से मिली वर्दी घूँस बहूत पावत,
मुफ्त में यहां वहां जहां तहां खावत।
मोटापा तौ होवत है रोगन कै दावत,
दरोगा तेरा पेट बहुत बाहर है आवत।
न करौ नाकदरी सितारों की तुम सब,
दंड बैठक दौड़ भाग शुरू करौ अब।
कैसे पकड़िहौ चोर डाकून का कब,
खुदै बीमरिहा बन के रइहौ जब।
फौजी के होवत है देहिं मा फुर्ती,
बांका छरहरा संगमरमर कै मुर्ती।
रोज बहावत हैं जम के पसीना,
वर्दी जचै जैसे खूबसूरत हसीना।
वर्दी से प्यार हमें सो बात भाखी।
एकै दरखास लाज खाकी कै राखी।
वर्दी के कारण पगार खुब है पावत,
दरोगा तेरा पेट बहुत बाहर है आवत।
सतीश सृजन, लखनऊ.