जब साथ थे पापा
शीर्षक:जब साथ थे पापा
जब भी मैं घबरा जाती थी
हिम्मत देते पापा,
पास मैं उनके जब भी जाती
प्यार से दुलारते थे पापा
चाहे जितना दूर रहो आप
फिर भी याद में बसे पापा
सानिध्य तुम्हारा पाते ही
कष्ट दूर हो जाते थे पापा
अंतर्मन की ये व्याकुलता अब
कहाँ दूर हो पाती है क्योंकि अब
हिम्मत नही देने वाले आप पास मेरे
रात में जब भी घबराती थी तो
तारे गिनने को कहते थे पापा
ध्यान भटक जाएगा डर से यही समझाते थे
जब भी आती कोई मुसीबत
दौड़ पास आते हम आपने पापा
जब भी हम घबरा जाते थे सानिध्य आपका पाते पापा
पास तुम्हारे आ जाते थे दुख दूर स्वयं ही चले जाता
और तो कुछ भी पास नहीं अब मेरे यादो के सिवा
तुम्हारी यादों सफर में नयन मेरे बहता झरना
बरसाती मेघ हो सावन भादों के भूल नही पाती पापा
अम्बर छू लेती मैं भी अगर साथ अभी भी आपका होता
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद