जब वो मंद मंद मुस्कराती है
जब वो मंद मंद मुस्कराती है
**********************
जब वो मंद मंद मुस्कराती है,
सीने पर गजब ढा जाती है।
ऑंखे नशीली बड़ी जहरीली,
दिल के गहरे राज छुपाती है।
यादों का बादल बरसने लगे,
नैनों से आँसू वो बरसाती हैं।
जब चुपके से आन गुरजती,
यौवन की खुशबू लुभाती है।
देख बगल मे बैठा मनसीरत,
पास बैठे – बैठे शरमाती है।
**********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)