जब याद तुम्हारी आई
प्रिय जब याद तुम्हारी आई
मन उपवन में सुमन खिले, ह्रदय वाटिका हरषाई
मन मंदिर हो गया प्रफुल्लित, प्रीत न उर में समाई
रोम रोम रोमांच हो गया, मन बसंत रितु छाई
बरस गया स्वाति का अमृत, मन चातक नहीं अघाई
पूर्ण चंद्र खिला हृदय बिच, गीत रहा मन गाई
अश्रुबिंदु छलके नैनों में, सही न जाए जुदाई
प्रिय जब याद तुम्हारी आई
सुरेश कुमार चतुर्वेदी