जब नहीं थीं जातियाँ
जब नहीं थीं जातियाँ
एक था समय
जब नहीं थीं जातियाँ
नहीं थे समुदाय
नहीं थे गोत्र
कितना सुखी होगा
उस समय का इंसान
लगते होंगे उसे
सभी अपने
सबसे होगा
उसका सदभाव
सबके होंगे
एक समान हित
सबमें होगा
अनूठा सामजस्य
निसंदेह वे सब
रहते होंगे
मिल-जुलकर
क्या गजब
रहा होगा
वो समय
-विनोद सिल्ला