जन-जन के नायक : कर्पूरी ठाकुर
केवल पिछड़ों के ही नहीं, हर धर्म-जाति में प्रताड़ित हुए शोषित-वंचित लोगों के मसीहा थे- कर्पूरी ठाकुर । बिहार के दो बार मुख्यमंत्री बने और जनमानस में छा गए । वे पार्टी-पॉलिटिक्स से ऊपर की चीज हो गए, क्योंकि वे मानवता से प्यार करने लगे थे । तभी तो उन्हें ‘जननायक’ कहा जाने लगा था । जिसप्रकार आध्यात्मिक क्षेत्र के जननायक गोस्वामी तुलसीदास थे, उसी भाँति सामाजिक विषमता को पाटने को कर्पूरी ठाकुर भी जननायक के रूप में उभरे।
उनका जन्म भले ही चिह्नित पिछड़ा वर्ग में हुआ था, किन्तु वो सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय के बीच भी शोषित-वंचितों के उपास्य थे । वे अंगरेजी से नफ़रत नहीं करते थे, किन्तु हिंदी को हाशिये में डालकर उस अंगरेजी के हिमायती वे कभी नहीं रहे । इसी जनवरी माह के 24 तारीख यानी आज उनकी जयन्ती है और कल ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भी जयंती थी, तथापि आजादी के बाद के इस मसीहा को किसी भी प्रसंग में हाशिये में नहीं रखा जा सकता ! ऐसे में इस शख्सियत को भारतवंद्य बनाने के लिए उन्हें ‘भारतरत्न’ दिया जाना जरूरी हो गया है ।