” जन्म दिनों का बाज़ार “
………( व्यंग )…………
डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
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आज मेरा जन्म दिन ,
कल मेरी पत्नि का !
दो दिनों के बाद ,
फिर मेरे छोटे पुत्र का !!
दूसरों का भी
दो चार दिनों में
मानना होगा !
फेसबुक के मित्रों
को भली -भांति
समझाना होगा !!
इतनों से भला
हमारा काम
चलेगा कैसे ?
अपने नाती, पोता और
पोतिओं के बिना
फेसबुक सजेगा कैसे ??
आज के दिन को
आप ना यूँ भूलें !
प्यार और आशीष को
दूर से ही आप दे दें !!
फिर निकट में
हमारी दुधारू गाय
के बछड़े का भी
सालगिरहआना है !
आपको अपनी
कविताओं को
गढ़ -गढ़के
मंगलगान सुनना है !!
हमें तो और कुछ
आता नहीं
उद्गार देना !
अपनी बारी में
भूल जाते यहाँ तक
आभार देना !!
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डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत