जनहरण घनाक्षरी
जनहरण घनाक्षरी
31 वर्ण,सब लघु वर्ण, केवल अंतिम वर्ण दीर्घ ।
8,8,8,7
शुभमय प्रियमय,
प्रियवर रघुमय,
हिय अति शुभ कवि,
सब जग अपना।
यह मन जब जब,
चलत करत प्रिय,
तब तब हितकर,
वचन निकलता।
सहज मिलन सुख,
कठिन वचन दुख,
मधुर कहत चल,
सब दुख हरना।
कपट तजन कर,
हरित भजन कर,
सुखद कदम धर,
हरिहर कहना।
सतत कमल बन,
हृदय विमल धन,
कर पर कर रख,
शिव पथ चलना।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।