पारस्परिक सहयोग आपसी प्रेम बढ़ाता है...
माँ
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
तुम्हारी आँख से जब आँख मिलती है मेरी जाना,
जीवन के अंतिम दिनों में गौतम बुद्ध
अंबर
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मतलब निकल गया तो यूँ रुसवा न कीजिए
- जन्म से लेकर मृत्यु तक का सफर -
वो तो नाराजगी से डरते हैं।
यूं तन्हाई में भी तन्हा रहना एक कला है,
मैंने उनको थोड़ी सी खुशी क्या दी...
ज्यादा खुशी और ज्यादा गम भी इंसान को सही ढंग से जीने नही देत
My thoughts if glances..!!