जनसंख्या है भार, देश हो विकसित कैसे(कुन्डलिया)
जनसंख्या है भार, देश हो विकसित कैसे(कुन्डलिया)
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विकसित कैसे देश हो,कैसे दिखे विकास
दिन दूनी है बढ़ रही, जनसंख्या हर मास
जनसंख्या हर मास, चौगुना राशन खाते
फिर भी भूखे पेट, नजर बेघर ही आते
कहते रवि कविराय , घटाओ जैसे-तैसे
जनसंख्या है भार,देश हो विकसित कैसे
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रचयिता :-रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451