जनता बेमतलब के मुद्दे नहीं काम चाहती है
जाति पाति धर्म संप्रदाय,सब ध्वस्त हो गए
परिवारवाद के किले,सब पस्त हो गए
दल बदलुओं के मंसूबे,सब नष्ट हो गए
जनता ने काम पर भरोसा जताया
विकास बाद पर बटन दबाया
तुष्टिकरण बेमतलब के मुद्दे, चमक अपनी खो गए
पांच राज्यों की सामूहिक सोच,
राजनीति की दिशा और दशा तय करेगी
राजनेताओं को सोचने पर मजबूर करेगी
जनता बेमतलब के मुद्दे नहीं काम चाहती है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी