दिल से गुरुओं का यहां कितना भी सम्मान करो
दिल से गुरुओं का यहां कितना भी सम्मान करो
उनको इंसान ही रहने दो न भगवान करो
हम जगह अपनी बना लेंगे वहाँ पर खुद ही
तुम जरा देर को दिल मे हमें मेहमान करो
हम कसम पूरी निभाएंगे नहीं मिलने की
पर हमें याद यूँ आकर न परेशान करो
प्यार के फूल बिछा शूल चुनो नफरत के
राह यूँ ज़िन्दगी की थोड़ी सी आसान करो
छेड़ दो साज कोई ‘अर्चना’ तन्हाई में
रहके खामोश इसे और न वीरान करो
01-02-2018
डॉ अर्चना गुप्ता