*जगत में इस तरह छोटा-सा कोना स्वर्ग कहलाया (हिंदी गजल/ गीतिका)*
जगत में इस तरह छोटा-सा कोना स्वर्ग कहलाया (हिंदी गजल/ गीतिका)
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(1)
जगत में इस तरह छोटा-सा कोना स्वर्ग कहलाया
परस्पर नेह पति-पत्नी का जिस घर में नजर आया
(2)
जहॉं सब लोग अनुशासित, जहॉं संयम से रहते हैं
भ्रमण करने को वह घर देवताओं को बहुत भाया
(3)
हुई जब घर में बेटी तो खुशी यों भी छलक आई
गगन से देवताओं ने निजी आशीष बरसाया
(4)
घिसे कुछ दॉंत-टूटे कुछ, न हालत पूछिएगा अब
जवानी में जो खाते थे, बुढ़ापे में कहॉं खाया
(5)
किसे मालूम है मरकर, मिलेगा भाग्य में फिर क्या
नई शुरुआत क्या होगी, मिलेगी कौन-सी काया
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451