” छोडो बेकार की बातों को “
( व्यंग )
डॉ लक्ष्मण झा”परिमल”
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हमें तो बस अपने
काम से मतलब है
औरों की बातों से
हमें क्या लेना ?
हम चमकते
सितारे क्षितिज के
लोग हमें जानते हैं
फिर हमें दूसरों
से क्या लेना ?
हमारी लेखनी
पढ़ते रहें
पर हमें फुर्सत
कहाँ जो आपको
देखा करें !
सराहने की बातें
महानायक करते नहीं
आप सिर्फ पूजा
हमारी करते रहें !!
हमारी भंगिमाओं
वाली तस्वीरों को
अपने आगोश में
भर लें !
पर हमको कहाँ
फुर्सत आपको
देखकर थोड़ी
आहें भर लें !!
हमारी पार्टियां
हमारा जन्म दिन
हमारी हवाई यात्रा
आप देखें !
अपनी प्रशंसा
अपनी बधाई
यात्रा सुखद का
सन्देश दे दें !!
आमंत्रण साहित्य
परिषद् को हो
या पुरुष्कार
लेने का जश्न हो !
आपको हर
क्षण में हमको
सहृदय प्रेम से
पूछने का प्रश्न हो !!
हमें तो अपनी
उपलब्धियों से
मतलब है यारों !
छोडो बेकार की
बातों को बस
अपनी राग
सुनो यारों !!
हमें तो बस अपने
काम से मतलब है
औरों की बातों से
हमें क्या लेना ?
हम चमकते
सितारे क्षितिज के
लोग हमें जानते हैं
फिर हमें दूसरों
से क्या लेना ?
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत