छूटी पतवार है
छूटी पतवार है
नैया मझदार है
होनी के आगे
बन्दा लाचार है
दुःख पाये प्यार में
अच्छा उपहार है
गिरते संस्कार ने
टपकाई लार है
नागिन से घातक
आदम का वार है
समझो यदि बात को
तो बेड़ा पार है
जन्मे शिशुओं पे
क्यों आर्थिक मार है
शहरों में बाढ़ ये
गांवों का भार है
रिश्तों की टूटन
कैसा उपकार है