छुपाती मीडिया भी है बहुत सरकार की बातें
छुपाती मीडिया भी है बहुत सरकार की बातें
घुमाती सी हुई लगती हैं अब अखबार की बातें
कभी प्रॉमिस कभी टेडी कभी तो रोज डे मनते
जुबां पर आजकल सबके ही देखो प्यार की बातें
ये नेता खुद तो चलते हैं सदा विपरीत धारा के
मगर जनता से करते हैं नदी की धार की बातें
किसी को याद अपने फ़र्ज़ तो रहते नहीं देखो
यहाँ सब चीखकर करते मगर अधिकार की बातें
बुरी लगती न रिश्वत देनी हमको काम के आगे
हुई हैं आम अब कितनी ये भ्रष्टाचार की बातें
नहीं पथ छोड़ना सच का यहाँ डरकर विरोधों से
जहाँ पर फूल हैं होंगी वही पर खार की बातें
जगाना ‘अर्चना’ है जोश लोगों के दिलों में अब
कलम से हो रही हैं इसलिये ललकार की बातें
07-02-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद