छुक छुक रेल
छुक छुक चलती रेल है
बच्चों की वो खेल है
सबको अपने साथ लिए
राहों को भी पास लिए
पेड़ों को ना रुकने देती
स्टेशन को न छूटने देती
सिटी उसकी बेमेल है
यात्रियों के लिए अनमोल है
खड़े हों उनको नाच कराती
मिला के दो तीन पांच कराती
किसी से ना बैर उसका
हर मन भाये सैर उसका
ले लेता जो बैर उससे
कभी न पाता खैर उससे