Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Apr 2024 · 1 min read

छल ……

छल ……

कल
फिर एक
कल होगा
भूख के साथ छल होगा
आशाओं के प्रासाद होंगे
तृष्णा की नाद होगी
उदर की कहानी होगी
छल से छली जवानी होगी
एक आदि का उदय होगा
एक आदि का अन्त होगा
आने वाला हर पल विकल होगा
जिन्दगी के सवाल होंगे
मृत्यु के जाल होंगे
मरीचिका सा कल होगा
तृष्णा तृप्ति का छल होगा
सच
कल
भोर के साथ
फिर एक कल होगा
भूख के साथ
छल होगा

सुशील सरना /

1 Like · 44 Views

You may also like these posts

शारदे देना मुझको ज्ञान
शारदे देना मुझको ज्ञान
Shriyansh Gupta
3519.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3519.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
सुदामा जी
सुदामा जी
Vijay Nagar
एकदा तरी आयुष्यात कोणी असे भेटावे. ज्याला आपल्या मनातले सर्व
एकदा तरी आयुष्यात कोणी असे भेटावे. ज्याला आपल्या मनातले सर्व
Sampada
बात का जबाब बात है
बात का जबाब बात है
शेखर सिंह
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
प्रकृति के अपराधी
प्रकृति के अपराधी
Mandar Gangal
*** मां की यादें ***
*** मां की यादें ***
Chunnu Lal Gupta
kab miloge piya - Desert Fellow Rakesh Yadav ( कब मिलोगे पिया )
kab miloge piya - Desert Fellow Rakesh Yadav ( कब मिलोगे पिया )
Desert fellow Rakesh
“फेसबूक का व्यक्तित्व”
“फेसबूक का व्यक्तित्व”
DrLakshman Jha Parimal
"जीत के जीरे" में से "हार की हींग" ढूंढ निकालना कोई "मुहब्बत
*प्रणय*
तितली-पुष्प प्रेम :
तितली-पुष्प प्रेम :
sushil sarna
" हकीकत "
Dr. Kishan tandon kranti
एक और परीक्षा बाकी है।
एक और परीक्षा बाकी है।
Vishnu Prasad 'panchotiya'
देश भक्ति
देश भक्ति
Santosh kumar Miri
आज़ादी
आज़ादी
MUSKAAN YADAV
अपना रस्ता खुद बना सको
अपना रस्ता खुद बना सको
rubichetanshukla 781
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
यादों की खोज।
यादों की खोज।
Kanchan Alok Malu
यादों की याद रखना
यादों की याद रखना
Dr. Rajeev Jain
जीवन की आपाधापी में, न जाने सब क्यों छूटता जा रहा है।
जीवन की आपाधापी में, न जाने सब क्यों छूटता जा रहा है।
Gunjan Tiwari
एक जहाँ हम हैं
एक जहाँ हम हैं
Dr fauzia Naseem shad
इंसान समाज में रहता है चाहे कितना ही दुनिया कह ले की तुलना न
इंसान समाज में रहता है चाहे कितना ही दुनिया कह ले की तुलना न
पूर्वार्थ
जीवन तो बहती दरिया है-काल चक्र का सर्प सदा ही हमको है डसता
जीवन तो बहती दरिया है-काल चक्र का सर्प सदा ही हमको है डसता
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
संघ के संगठन के सम्बन्ध में मेरे कुछ विचार 🙏संगठन में नियम न
संघ के संगठन के सम्बन्ध में मेरे कुछ विचार 🙏संगठन में नियम न
ललकार भारद्वाज
हम भी बदल न जायें
हम भी बदल न जायें
Sudhir srivastava
हाल हुआ बेहाल परिदे..!
हाल हुआ बेहाल परिदे..!
पंकज परिंदा
एक ज़माना था .....
एक ज़माना था .....
Nitesh Shah
सब भूल गये......
सब भूल गये......
Vishal Prajapati
दीपावली २०२३ की हार्दिक शुभकामनाएं
दीपावली २०२३ की हार्दिक शुभकामनाएं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Loading...