*छप्पन पत्ते पेड़ के, हम भी उनमें एक (कुंडलिया)*
छप्पन पत्ते पेड़ के, हम भी उनमें एक (कुंडलिया)
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छप्पन पत्ते पेड़ के, हम भी उनमें एक
जड़ में वही ब्रिटेन है, उनका ही अभिषेक
उनका ही अभिषेक, गुलामी याद दिलाता
हम हैं दास-समूह, हमारा इतना नाता
कहते रवि कविराय, रहे निर्धन के निर्धन
हम उनके साम्राज्य, राष्ट्रमंडल के छप्पन
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पेड़ के छप्पन पत्ते = छप्पन सदस्यों का राष्ट्रमंडल समूह
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451