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22 Dec 2021 · 11 min read

छन्द से ग़ज़ल

छन्द से ग़ज़ल

ग़ज़ल एक ऐसी विधा है जिसमें किसी बहर पर आधारित दो-दो लयात्मक पंक्तियों के विशेष कहन वाले पूर्वापर निरपेक्ष पाँच या अधिक युग्म होते हैं जिनमें से पहले युग्म की दोनों पंक्तियाँ तुकान्त होती हैं जबकि अन्य युग्मों की पहली पंक्ति तुकान्त तथा दूसरी पंक्ति सम तुकान्त होती है।

उदाहरण

किसी ने छेड़ दी चर्चा तुम्हारी, तुम नहीं हो प्रिय!
उठी है हूक-सी दिल में करारी, तुम नहीं हो प्रिय!

सुकोमल शब्द भी चुभते, ठिठोली ज्यों लगे होली,
रसीली बात भी लगती कटारी, तुम नहीं हो प्रिय!

न जाने क्यों निठुर-सा रुष्ट रहता हूँ बहारों से,
बहारें हैं बड़ी सहमी दुखारी, तुम नहीं हो प्रिय!

धुआँ है, राख़ हैं केवल, न गंधाक्षत न रोली है,
चली ऋतुराज की आती सवारी, तुम नहीं हो प्रिय!

उमंगों की तरंगे भंग मेरे नाम से होतीं,
बना हूँ एक अपयश की पिटारी, तुम नहीं हो प्रिय!

तुम्हारी सुधि-नदी के तीर तरु-सा मैं विलय-आकुल,
नदी कल-कल करे, आती न बारी, तुम नहीं हो प्रिय!

कभी ‘नीरव’, कभी वाचाल होकर तोष कर लेता,
कि जैसे खेल में हारा जुआरी, तुम नहीं हो प्रिय!

व्याख्या
(1) ग़ज़ल की पंक्ति को मिसरा कहते हैं। युग्म की पहली पंक्ति को मिसरा ऊला तथा दूसरी पंक्ति को मिसरा सानी कहते हैं। उपर्युक्त उदाहरण के पहले युग्म में-
किसी ने छेड़ दी चर्चा तुम्हारी, तुम नहीं हो प्रिय! (मिसरा ऊला)
उठी है हूक-सी दिल में करारी, तुम नहीं हो प्रिय! (मिसरा सानी)
(2) दो मिसरों के युग्म को शेर कहते हैं। प्रत्येक शेर अभिव्यक्ति की दृष्टि से पूर्वापर निरपेक्ष होता है अर्थात वह अपने अर्थ के लिए किसी दूसरे शेर पर आश्रित नहीं होता है और उसका विषय स्वतंत्र होता है। उपर्युक्त उदाहरण में कुल सात शेर (अश’आर) हैं।
(3) पहले शेर के दोनों मिसरे तुकान्त होते हैं, जिसे मतला कहते हैं। उपर्युक्त उदाहरण में मतला यह है-
किसी ने छेड़ दी चर्चा तुम्हारी, तुम नहीं हो प्रिय!
उठी है हूक-सी दिल में करारी, तुम नहीं हो प्रिय!
इसके दोनों मिसरे तुकान्त हैं। वास्तव में मतला से ही तुकान्त निर्धारित होता है। तुकान्त में दो भाग होते हैं, इस प्रकार-
तुकान्त = क़ाफ़िया (समान्त) + रदीफ़ (पदान्त)
इस उदाहरण में,
तुकान्त = आरी तुम नहीं हो प्रिय
समान्त = आरी
पदान्त = तुम नहीं हो प्रिय
जिस ग़ज़ल में रदीफ़ (पदान्त) नहीं होता है उसे ग़ैर मुरददफ़ (अपदान्त) ग़ज़ल कहते हैं।
(4) मतला के अतिरिक्त अन्य प्रत्येक शेर का मिसरा ऊला अतुकांत तथा मिसरा सानी समतुकान्त होता है अर्थात उसका तुकान्त मतला के समान होता है। जैसे-
सुकोमल शब्द भी चुभते, ठिठोली ज्यों लगे होली, (अतुकान्त)
रसीली बात भी लगती कटारी, तुम नहीं हो प्रिय! (समतुकान्त)
(5) अंतिम शेर में यदि कवि या शायर का नाम आता है तो उसे मक्ता कहते हैं। उपर्युक्त उदाहरण में मक़्ता इस प्रकार है-
कभी ‘नीरव’, कभी वाचाल होकर तोष कर लेता,
कि जैसे खेल में हारा जुआरी, तुम नहीं हो प्रिय!
(6) शेर में कहने का ढंग विशेष होता है जिसे अंदाज़-ए-बयां या ग़ज़लियत कहते हैं। इसके अंतर्गत मिसरा ऊला में कथ्य की प्रस्तावना इस प्रकार की जाती है की सुनने वाला आशय का अनुमान न कर सके (संधान) और फिर मिसरा सानी में कथ्य का विस्फोटक उदघाटन किया जाता है जिससे सुनने वाला आश्चर्य से भर उठता है (प्रहार)। उपर्युक्त उदाहरण के शेरों (अश’आर) में ‘विशेष कहन’ का पाठक स्वयं अनुभव कर सकते हैं।
(7) ग़ज़ल के सभी मिसरे एक ही लय में होते हैं। यह लय एक निश्चित बहर पर आधारित होती है। बहर वास्तव में लघु-गुरु का एक निश्चित क्रम है जिससे किसी काव्य-पंक्ति की लय निर्धारित होती है। बहर में लघु-गुरु के कुछ छोटे-छोटे समूह होते हैं। ऐसे प्रत्येक समूह को रुक्न कहते हैं। इस प्रकार रुक्नों के योग से जो बहर का स्वरूप बनता है उसे अरकान कहते हैं, जबकि अरकान रुक्न का बहुवचन है। हिन्दी के स्वरक को ही उर्दू में रुक्न कहते हैं किन्तु रुक्न में लघु-गुरु के क्रम को एक विशेष शब्दावली में व्यक्त किया जाता है। स्वरक और रुक्न की शब्दावली का संबंध यहाँ पर दिया जा रहा है-

उर्दू रुक्न हिन्दी स्वरक
फा गा
फअल/फऊ लगा
फाअ गाल
फैलुन गागा
फऊलुन लगागा
फाइलुन गालगा
मफ्ऊलु गागाल
मफाईलु लगागाल
मफाइलुन लगालगा
फाइलान गालगाल
मुतफैलुन ललगागा
मफाईलुन लगागागा
फाइलातुन गालगागा
मुस्तफ्इलुन गागालगा
मुतफाइलुन ललगालगा
मफ्ऊलात गागागाल
फ़ऊलु फ़ैलुन लगालगागा
मफ्ऊलु फैलुन गागालगागा
बहर का एक पारंपरिक नाम भी होता है जैसे उपर्युक्त उदाहरण में बहर का नाम और अरकान निम्न प्रकार हैं-
बहर – बहर-ए-हज़ज़ मुसम्मन सालिम
अरकान- मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन
मापनी- लगागागा लगागागा लगागागा लगागागा (लगावली)
अथवा- 1222 1222, 1222 1222 (अंकावली)
आधार छन्द- विधाता
ग़ज़ल की रचना करने के लिए बहरों के पारंपरिक नाम की आवश्यकता नहीं रहती है, अपितु अरकान की जानकारी ही पर्याप्त होती है। इसलिए प्रचलन में बहर के रूप में प्रायः अरकान को ही प्रयोग में लाया जाता है।
जितनी बहर हैं वे सभी किसी न किसी हिन्दी छन्द का ही एक रूप हैं जैसे उपर्युक्त बहर हिन्दी छन्द ‘विधाता’ का एक रूप है। अतः जिनको हिन्दी छंदों का ज्ञान है वे बहुत सरलता से छंद या उसकी मापनी को आधार बना कर ग़ज़ल की रचना कर सकते हैं। यह बात अलग है कि उर्दू ग़ज़लों से सम्बद्ध छंदों की संख्या बहुत अल्प है जबकि सम्पूर्ण छंदों की संख्या इससे सैकड़ों-हजारों गुनी है। उल्लेखनीय है कि गीतिका में प्रायः सभी छंदों का प्रयोग हो सकता है जबकि ग़ज़ल में कुछ थोड़े से ही छंदों का प्रयोग होता है।

ग़ज़ल कैसे रचें
छन्दबद्ध गेय कविता के सृजन की व्यावहारिक प्रणाली ग़ज़ल पर भी लागू होती है जिसके क्रमिक चरण इस प्रकार हैं- (1) पहले किसी मनपसंद ग़ज़ल को सस्वर गाइए (2) बिना शब्दों के गुनगुनाइए (3) लय को मन में बसाइए (4) उसी लय पर शब्दों को ढालते हुए मन की बात कहिए (5) ग़ज़ल के प्रारूप को ध्यान में रखते हुए अपनी ग़ज़ल पूरी कीजिए (6) प्रत्येक शेर में अधिक से अधिक मारक क्षमता लाने के लिए प्रयत्नशील रहिए (7) इस प्रकार रची गयी ग़ज़ल को उसके अरकान या मापनी या आधार छन्द की कसौटी पर कस कर देखिए, कोई विसंगति दिखाई दे तो उसे दूर कीजिए (7) यथावश्यक किसी जानकार से सहयोग लीजिए। बस, उत्कृष्ट ग़ज़ल का सृजन सुनिश्चित समझिए।
यहाँ पर कुछ प्रचलित बहरों के विवरण में उससे संबन्धित मात्रा भार, अरकान, लगावली में मापनी, अंकावली में मापनी, आधार छन्द और एक शेर के उदाहरण का क्रमशः उल्लेख किया जा रहा है। इसकी सहायता से रचनाकार जहाँ एक ओर मनचाही ग़ज़ल की रचना कर सकते हैं, वहीं दूसरी ओर यह भी समझ सकते हैं कि सभी बहरें किसी न किसी छन्द का ही एक रूप हैं और उस छन्द से ग़ज़ल की रचना बहुत सरलता से की जा सकती है।

बहर एवं आधार छन्द:

(1) 10 मात्रा
अरकान- फ़ऊलुन फ़ऊलुन
मापनी- लगागा लगागा
अथवा- 122 122
आधार छन्द- वासोमराजी
उदाहरण:
उषा नित्य आती,
सभी को लुभाती।

(2) 10 मात्रा
अरकान- फ़ाइलुन फ़ाइलुन
मापनी- गालगा गालगा
अथवा- 212 212
आधार छन्द- वाविमोहा
उदाहरण:
भाषणों से कहीं,
भूख मिटती नहीं।

(3) 11 मात्रा
अरकान- फ़ाइलुन मफ़ाइलुन
मापनी- गालगा लगालगा
अथवा- 212 1212
अथवा- गालगाल गालगा
अथवा- 2121 212
आधार छन्द- वासमानिका
उदाहरण:
सत्य को उभारना,
हो सदैव कामना।

(4) 11 मात्रा
अरकान- मफ़ाइलुन फ़ऊलुन
मापनी- लगालगा लगागा
अथवा- 1212 122
आधार छन्द- वाजरागा
उदाहरण:
मिली अभी जवानी,
अभी बनी कहानी।

(5) 12 मात्रा
अरकान- फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
मापनी- गालगागा गालगा
अथवा- 2122 212
आधार छन्द- वारातागा
उदाहरण:
पाँव में छाले लिये,
मुस्कराते हम जिये।

(6) 12 मात्रा
अरकान- मफ़ऊलु फ़ाइलातुन
मापनी- गागाल गालगागा
अथवा- 221 2122
आधार छन्द- दिग्बाला
उदाहरण:
पल-पल मुझे भुनाना,
कल का नहीं ठिकाना।

(7) 13 मात्रा
अरकान- फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन
मापनी- गालगागा लगालगा
अथवा- 2122 1212
आधार छन्द- वारारालगा
उदाहरण:
नाम यों ही लिया कभी,
देखते रह गये सभी।

(8) 14 मात्रा
अरकान- मुसतफ़इलुन मुसतफ़इलुन
मापनी- गागालगा गागालगा
अथवा- 2212 2212
आधार छन्द- सरस/मधुमालती
उदाहरण:
गिरती रही हैं बिजलियाँ,
उड़ती रही हैं तितलियाँ।

(9) 14 मात्रा
अरकान- फ़ाइलातून फ़ाइलातून
मापनी- गालगागा गालगागा
अथवा- 2122 2122
आधार छंद- मनोरम
उदाहरण:
सृष्टि में सब कुछ बदलता,
प्यार भी दिन चार चलता।

(10) 14 मात्रा
अरकान- मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन
मापनी- लगागागा लगागागा
अथवा- 1222 1222
आधार छन्द- विजात
उदाहरण:
हवा जब सरसराती है,
तुम्हारी याद आती है।

(11) 14 मात्रा
अरकान- फ़ाइलुन मफ़ाइलुन फ़अल
मापनी- गालगा लगालगा लगा
अथवा- 212 1212 12
अथवा- गालगाल गालगाल गा
अथवा- 2121 2121 2
आधार छन्द- वाराजरा
उदाहरण:
सत्य के सुपंथ आइए,
देश-प्रेम-गीत गाइए।

(12) 15 मात्रा
अरकान- फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
मापनी- लगागा लगागा लगागा
अथवा- 122 122 122
आधार छन्द- वासार्द्धसोमराजी
उदाहरण:
कहानी हमारी-तुम्हारी,
गयी लेखनी में उतारी।

(13) 15 मात्रा
अरकान- फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
मापनी- गालगा गालगा गालगा
अथवा- 212 212 212
आधार छन्द- वामहालक्ष्मी
उदाहरण
जो गरजते बरसते नहीं,
जो बरसते गरजते नहीं।

(14) 16 मात्रा
अरकान- फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ा
मापनी- गालगागा गालगागा गा
अथवा- 2122 2122 2
आधार छन्द- मनोरमगा
उदाहरण:
रात आती बीत जाती है,
फिर उषा आकर जगाती है।

(15) 16 मात्रा
अरकान- फऊलु फ़ैलुन फऊलु फ़ैलुन
मापनी- लगालगागा लगालगागा
अथवा- 12122 12122
आधार छन्द- वाद्वियशोदा
उदाहरण:
विलग रहे तो लगे भले तुम,
समीप आकर बहुत खले तुम।

(16) 16 मात्रा
अरकान- मफ़ऊलु मफ़ाईलुन फ़ैलुन
मापनी- गागाल लगागागा गागा
अथवा- 221 1222 22
आधार छन्द- वातायमा
उदाहरण:
यदि लोग जलें तो जलने दो,
उर प्यार निरंतर पलने दो।

(17) 17 मात्रा
अरकान- फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़ैलुन
मापनी- गालगागा ललगागा गागा
अथवा- 2122 1122 22
आधार छन्द- वाराभामागा
उदाहरण:
द्वैत अद्वैत किया होली ने,
प्रेम-रस घोल दिया होली ने।

(18) 17 मात्रा
अरकान- फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा
मापनी- गालगा गालगा गालगा गा
अथवा- 212 212 212 2
आधार छन्द- वाबाला
उदाहरण:
रोटियाँ चाहिए कुछ घरों को,
रोज़ियाँ चाहिए कुछ करों को।

(19) 17 मात्रा
अरकान- फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन फ़ैलुन
मापनी- गालगागा लगालगा गागा
अथवा- 2122 1212 22
आधार छन्द- पारिजात
उदाहरण:
फाग गाकर गयी चली होली,
कौन जाने कि किस गली हो ली।

(20) 17 मात्रा
अरकान- फ़ाइलुन फ़ाइलुन मफ़ाईलुन
मापनी- गालगा गालगा लगागागा
अथवा- 212 212 1222
आधार छन्द- वारारायगा
उदाहरण:

(21) 18 मात्रा
अरकान- फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़अल
मापनी- लगागा लगागा लगागा लगा
अथवा- 122 122 122 12
आधार छन्द- शक्ति
उदाहरण:
चलाचल चलाचल अकेले निडर,
चलेंगे हजारों, चलेगा जिधर।

(22) 19 मात्रा
अरकान- मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन फ़ऊलुन
मापनी- लगागागा लगागागा लगागा
अथवा- 1222 1222 122
आधार छन्द- सुमेरु
उदाहरण:
चलाती देश को यह भीड़ देखो,
उजाड़ा भीड़ का वह नीड़ देखो।

(23) 19 मात्रा
अरकान- फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
मापनी- गालगागा गालगागा गालगा
अथवा- 2122 2122 212
आधार छन्द- आनंदवर्धक
उदाहरण:
देश को दर्पण दिखाती लेखनी,
सो गये जन को जगाती लेखनी।

(24) 20 मात्रा
मापनी- फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
मापनी- लगागा लगागा लगागा लगागा
अथवा- 122 122 122 122
आधार छन्द- भुजंगप्रयात
उदाहरण:
किसी को धरा से नहीं प्यार होता,
सदा स्वार्थ की पूर्ति में बीज बोता,

(25) 20 मात्रा
अरकान- फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
मापनी- गालगा गालगा गालगा गालगा
अथवा- 212 212 212 212
आधार छन्द- वास्रग्विणी
उदाहरण:
क्षम्य कुछ भी नहीं, बात सच मानिए,
भोग ही है क्षमा, तात सच मानिए।

(26) 20 मात्रा
अरकान- फ़ाइलुन मफ़ाइलुन मफ़ाइलुन फ़अल
मापनी- गालगा लगालगा लगालगा लगा
अथवा- 212 1212 1212 12
अथवा- गालगाल गालगाल गालगाल गा
अथवा- 2121 2121 2121 2
आधार छन्द- वाराग
उदाहरण:
सावनी बहार को बुखार आ गया,
बाढ़ का पिशाच गाँव-गाँव खा गया।

(27) 21 मात्रा
अरकान- फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा
अथवा- 2122 2122 2122
आधार छन्द- सार्द्धमनोरम
उदाहरण:
शीश का घूँघट गिरा कटि में लपेटा,
जड़ दिया फिर रूढ़ि के मुँह पर चपेटा।

(28) 21 मात्रा
अरकान- मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन
मापनी- लगागागा लगागागा लगागागा
अथवा- 1222 1222 1222
आधार छन्द- सिन्धु
उदाहरण:
अनोखे काव्य का संसार है मानस,
हृदय-मरु में मधुर रसधार है मानस।

(29) 21 मात्रा
अरकान- मुसतफ़इलुन मुसतफ़इलुन मुसतफ़इलुन
मापनी- गागालगा गागालगा गागालगा
अथवा- 2212 2212 2212
आधार छन्द- सार्धसरस
उदाहरण:
नर के बिना नारी अधूरी है सदा,
नारी बिना नर भी अधूरा सर्वदा।

(30) 22 मात्रा
अरकान- मफ्ऊलु मफाईलु मफाईलु फऊलुन
मापनी- गागाल लगागाल लगागाल लगागा
अथवा- 221 1221 1221 122
आधार छन्द- बिहारी
उदाहरण:
लाचार बड़ा आज पड़ा हाथ बढ़ाओ,
हे श्याम फँसी नाव इसे पार लगाओ।

(31) 22 मात्रा
अरकान- मफ़ाइलुन फ़इलातुन मफ़ाइलुन फ़ैलुन
मापनी- लगालगा ललगागा लगालगा गागा
अथवा- 1212 1122 1212 22
आधार छन्द- वाजभातारागागा
उदाहरण:
अनेक बार लिखा नाम फिर मिटाया है,
कभी लगाव दिखाया कभी छिपाया है।

(32) 22 मात्रा
अरकान- मफ़ऊलु फ़ाइलात मफ़ाईलु फ़ाइलुन/ फाइलातु
मापनी- गागाल गालगाल लगागाल गालगा
अथवा- 221 2121 1221 212
आधार छन्द- वातारासरालगा
उदाहरण:
है मृत्यु एक सत्य, टलेगी न एक पल,
कहते रहे कि काम करेंगे अनेक कल।

(33) 22 मात्रा
अरकान- फ़ाइलुन मफ़ाइलुन फ़ाइलुन मफ़ाइलुन
मापनी- गालगा लगालगा गालगा लगालगा
अथवा- 212 1212 212 1212
अथवा- गालगाल गालगा गालगाल गालगा
अथवा- 2121 212 2121 212
आधार छन्द- वाद्विसमानिका
उदाहरण:
लोक-बंध टूटते रीति-नीति खो गयी,
वासना कराल हो क्रूर काल हो गयी।

(34) 22 मात्रा
अरकान- मफ़ऊलु फ़ाइलातुन मफ़ऊलु फ़ाइलुन
मापनी- गागाल गालगागा गागाल गालगा
अथवा- 221 2122 221 212
आधार छन्द- दिग्वधू
उदाहरण:
आकाश झुक रहा है, धरती उछल रही,
ऋतुराज आ रहा है, कविता मचल रही।

(35) 23 मात्रा
अरकान- फाइलुन मफाइलुन मफाइलुन मफाइलुन
मापनी- गालगा लगालगा लगालगा लगालगा
अथवा- गाल 7 + गा
अथवा- 212 1212 1212 1212
आधार छन्द- वाचामर
उदाहरण:
इंद्रियाँ हुईं अशक्त कामना नहीं गयी,
शक्ति हीन किन्तु काम भावना नहीं गयी।

(36) 23 मात्रा
अरकान- फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ैलुन
मापनी- गालगागा ललगागा ललगागा गागा
अथवा- 2122 1122 1122 22
आधार छन्द- वाराभातायगागा
उदाहरण:
तुमने’ देखा तो’ सदा फूल महकते देखा,
मैंने’ फूलों को’ कई बार दहकते देखा।

(37) 23 मात्रा
अरकान- फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ा
मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा गा
अथवा- 2122 2122 2122 2
आधार छन्द- रजनी
उदाहरण:
मात्र जीने के लिए नीरव जिया ही क्यों?
पी रहा है रश्मियाँ अपनी दिया ही क्यों?

(38) 23 मात्रा
अरकान- मुस्तफ़इलुन मफ़ाइलुन मुस्तफ़इलुन फ़अल
मापनी- गागालगा लगालगा गागालगा लगा
अथवा- 2212 1212 2212 12
आधार छन्द- वातारायरालगा
उदाहरण:
है स्वार्थ पूर्ति का बड़ा, विस्तार हो रहा,
उत्सर्ग लक्ष्य था जहाँ, व्यापार हो रहा।

(39) 24 मात्रा
अरकान- फाइलुन मफाईलुन फाइलुन मफाईलुन
मापनी- गालगा लगागागा गालगा लगागागा
अथवा- 212 1222 212 1222
आधार छन्द- वारायतारागागा
उदाहरण:
भाव पक्ष कविता का, ज्यों हृदय हमारा हो,
धड़कनें बनें जीवन, शिल्प जो सहारा हो।

(40) 24 मात्रा
अरकान- मफ़ऊलु मफाईलुन मफ़ऊलु मफाईलुन
मापनी- गागाल लगागागा गागाल लगागागा
अथवा- 221 1222 221 1222
आधार छन्द- वाद्विभक्ती
उदाहरण:
चाहा न कभी मुझसे, हो कष्ट तनिक जाये,
दुर्भाव किसी के प्रति, मन में न कभी आये।

(41) 24 मात्रा
अरकान- मफाइलुन मफाइलुन मफाइलुन मफाइलुन
मापनी- लगालगा लगालगा लगालगा लगालगा
अथवा- 1212 1212 1212 1212
अथवा- लगा 8
अथवा- 1212 1212 1212 1212
आधार छन्द- वापंचचामर
उदाहरण:
विचार आ गया उसे निबद्ध छंद में किया,
रसानुभूति के लिए निचोड़ भी दिया हिया।

(42) 24 मात्रा
अरकान- मफ़ऊलु फ़ाइलातुन मफ़ऊलु फ़ाइलातुन
मापनी- गागाल गालगागा गागाल गालगागा
अथवा- 221 2122 221 2122
आधार छन्द- दिग्पाल/मृदुगति
उदाहरण:
त्यागी विरक्त चाहें, अब नाम-यश कमाना,
उद्देश्य और ही कुछ, बस त्याग है बहाना।

(43) 24 मात्रा
अरकान- फ़ाइलातुन फ़ाइलुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
मापनी- गालगागा गालगा गालगागा गालगा
अथवा- 2122 212 2122 212
आधार छन्द- वारातातामालगा
उदाहरण:
सामने आता नहीं, रूप दिखलाता नहीं,
हैं नहीं पहचान भी, पर भुला पाता नहीं।

(44) 24 मात्रा
अरकान- फ़ऊलुन मफ़ाईलुन फ़ऊलुन मफ़ाईलुन
मापनी- लगागा लगागागा लगागा लगागागा
अथवा- 122 1222 122 1222
आधार छन्द- वाययरारागागा
उदाहरण:
अकेला अकेला चल, झमेला सँभाले चल,
हृदय में दबी पीड़ा, हवा में उछाले चल।

(45) 24 मात्रा
अरकान- मुफ़्तइलुन मफ़ाइलुन मुफ़्तइलुन मफ़ाइलुन
मापनी- गाललगा लगालगा गाललगा लगालगा
अथवा- 2112 1212 2112 1212
आधार छन्द- वाभारायसजगा
उदाहरण:
ग्रंथ पढे चतुर बने, झूठ गढ़े नित्य कहे,
लोग बड़े भले लगे, जो न पढे लिखे रहे।

(46) 26 मात्रा
अरकान- फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा गालगा
अथवा- 2122 2122 2122 212
आधार छन्द- गीतिका
उदाहरण:
वर्जनाएँ काव्य में यदि हों समादृत, क्या कहें।
वासना शृंगार में यदि हो अनावृत, क्या कहें।

(47) 26 मात्रा
अरकान- मुस्तफ़इलुन मफ़ाइलुन मुस्तफ़इलुन मफ़ाइलुन
मापनी- गागालगा लगालगा गागालगा लगालगा
अथवा- 2212 1212 2212 1212
आधार छन्द- वातारायराजगा
उदाहरण:
हम भारतीय एक हैं, हम एक ही रहे सदा,
बस राजनीति ने किया, विभेद है यदा-कदा।

(48) 28 मात्रा
अरकान- मफाईलुन मफाईलुन मफाईलुन मफाईलुन
मापनी- लगागागा लगागागा लगागागा लगागागा
अथवा- 1222 1222 1222 1222
आधार छन्द- विधाता
उदाहरण:
जवानी हो गयी बूढ़ी घिसटती तुम नहीं हो प्रिय,
डगर थोड़ी बची काटे न कटती तुम नहीं हो प्रिय।

(49) 28 मात्रा
अरकान- मुसतफ़इलुन मुसतफ़इलुन मुसतफ़इलुन मुसतफ़इलुन
मापनी- गागालगा गागालगा गागालगा गागालगा
अथवा- 2212 2212 2212 2212
आधार छन्द- हरिगीतिका
उदाहरण:
उस ज्ञान का हम क्या करें जो दम्भ में अनुदार हो,
उस रूप का हम क्या करें जिसमें न मृदुता प्यार हो।

(50) 28 मात्रा
अरकान- फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन
मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा गालगागा
अथवा- 2122 2122 2122 2122
आधार छन्द- माधवमालती
उदाहरण:
मार्ग में करते मिलें जब क्रूर अत्याचार गड्ढे,
तब समझ लेना कि शासन के लिए तैयार गड्ढे।

(51) 28 मात्रा
अरकान- मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन
मापनी- ललगालगा ललगालगा ललगालगा ललगालगा
अथवा- 11212 11212 11212 11212
आधार छन्द- वामुनिशेखर
उदाहरण:
रचते रहो नव छन्द सुन्दर, ढाल दो शिव-भावना,
पढ़ते जिसे मनमुग्ध पाठक, में जगे शुभ कामना।

(52) 32 मात्रा
अरकान- मफाइलुन फाइलुन फऊलुन मफाइलुन फाइलुन फऊलुन
मापनी- लगालगा गालगा लगागा लगालगा गालगा लगागा
अथवा- लगालगागा लगालगागा लगालगागा लगालगागा
अथवा- 12122 12122 12122 12122
आधार छन्द- वाचतुर्यशोदा
उदाहरण:
कभी न भूलो सुपन्थ को तुम, धरो नहीं पग कभी कुपथ पर,
हजार कंटक भले बिछे हों, डरो नहीं तुम चलो सुपथ पर।

(53) 40 मात्रा
अरकान- फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
मापनी- लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा
अथवा- 122 122 122 122 122 122 122 122
आधार छन्द- वामहाभुजंगप्रयात
उदाहरण:
न माता-पिता भामिनी या न कोई किसी का, पले जा अकेले-अकेले।
अरे शैल, कल्लोलिनी चूसती ही रहेगी, गले जा अकेले-अकेले।

(54) 40 मात्रा
अरकान- फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
मापनी- गालगा गालगा गालगा गालगा गालगा गालगा गालगा गालगा
अथवा- 212 212 212 212 212 212 212 212
आधार छन्द- वागंगोदक
उदाहरण:
छांदसी काव्य की सर्जना के लिए, भाव को शिल्प-आधार दे शारदे!
साथ शब्दार्थ के लक्षणा व्यंजना, से भरा काव्य संसार दे शारदे!
——————————————————————————————–
संदर्भ ग्रंथ – ‘छन्द विज्ञानं’, लेखक- ओम नीरव, पृष्ठ- 360, मूल्य- 400 रुपये, संपर्क- 8299034545

Category: Sahitya Kaksha
Language: Hindi
Tag: लेख
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