छतें बुढापा, बचपन आँगन
छतें बुढापा, बचपन आँगन
पक्की दीवारों सा यौवन।।
घर यदि बन जाए उपवन सा
क्षण-प्रतिक्षण महकेगा जीवन।।
★प्रणय प्रभात★
छतें बुढापा, बचपन आँगन
पक्की दीवारों सा यौवन।।
घर यदि बन जाए उपवन सा
क्षण-प्रतिक्षण महकेगा जीवन।।
★प्रणय प्रभात★