Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Feb 2023 · 1 min read

छतें बुढापा, बचपन आँगन

छतें बुढापा, बचपन आँगन
पक्की दीवारों सा यौवन।।
घर यदि बन जाए उपवन सा
क्षण-प्रतिक्षण महकेगा जीवन।।

★प्रणय प्रभात★

1 Like · 204 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

अब आदमी के जाने कितने रंग हो गए।
अब आदमी के जाने कितने रंग हो गए।
सत्य कुमार प्रेमी
अंजुरी भर....
अंजुरी भर....
Shally Vij
जब ‘नानक’ काबा की तरफ पैर करके सोये
जब ‘नानक’ काबा की तरफ पैर करके सोये
कवि रमेशराज
बेहिसाब सवालों के तूफान।
बेहिसाब सवालों के तूफान।
Taj Mohammad
रिश्तों की डोर
रिश्तों की डोर
मनोज कर्ण
" पतंग "
Dr. Kishan tandon kranti
मैं ज़िंदगी भर तलाशती रही,
मैं ज़िंदगी भर तलाशती रही,
लक्ष्मी सिंह
सच्चा प्रेम
सच्चा प्रेम
Sagar Yadav Zakhmi
यहां सभी लोग समय के चक्र में बंधे हुए है, जब सूर्य दिन के अल
यहां सभी लोग समय के चक्र में बंधे हुए है, जब सूर्य दिन के अल
Rj Anand Prajapati
..
..
*प्रणय*
आओ छंद लिखे (चौपाई)
आओ छंद लिखे (चौपाई)
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
2803. *पूर्णिका*
2803. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कल को कल ही सोचना,
कल को कल ही सोचना,
sushil sarna
धूप निकले तो मुसाफिर को छांव की जरूरत होती है
धूप निकले तो मुसाफिर को छांव की जरूरत होती है
कवि दीपक बवेजा
शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
कविता - छत्रछाया
कविता - छत्रछाया
Vibha Jain
अलसाई आँखे
अलसाई आँखे
A🇨🇭maanush
प्रकृति का यौवन बसंत
प्रकृति का यौवन बसंत
PRATHVI SINGH BENIWAL
क्या गुनाह था कि तुम्हें खोया है हमने
क्या गुनाह था कि तुम्हें खोया है हमने
Diwakar Mahto
बे-शुमार
बे-शुमार
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
ଭଗବାନ କିଏ
ଭଗବାନ କିଏ
Otteri Selvakumar
पराठों का स्वर्णिम इतिहास
पराठों का स्वर्णिम इतिहास
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
लोगों के साथ सामंजस्य स्थापित करना भी एक विशेष कला है,जो आपक
लोगों के साथ सामंजस्य स्थापित करना भी एक विशेष कला है,जो आपक
Paras Nath Jha
स्वभाव
स्वभाव
अखिलेश 'अखिल'
राजनीतिक फायदे के लिए, तुम मुकदर्शक हो गये तो अनर्थ हो जाएगा
राजनीतिक फायदे के लिए, तुम मुकदर्शक हो गये तो अनर्थ हो जाएगा
नेताम आर सी
ख़ुद से ही छिपा लेता हूं बातें दिल के किसी कोने में,
ख़ुद से ही छिपा लेता हूं बातें दिल के किसी कोने में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कुछ काम करो , कुछ काम करो
कुछ काम करो , कुछ काम करो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मां चंद्रघंटा
मां चंद्रघंटा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
नववर्ष (व्यंग्य गीत )
नववर्ष (व्यंग्य गीत )
Rajesh Kumar Kaurav
इरादा हो अगर पक्का सितारे तोड़ लाएँ हम
इरादा हो अगर पक्का सितारे तोड़ लाएँ हम
आर.एस. 'प्रीतम'
Loading...