छठ गीत (भोजपुरी)
अबकी बरस कैसे करी हम वरतिया,
कि ललना हमार नाहीं अईलन हो।
हमरा के छठ क बाज़ार के कराईं,
कि ललना हमार नाहीं अईलन हो।।
कह के गईल रहलें चिन्ता मत करीहे,
छठीयां में हम आईं जाईम महतारी।
का जानी कवन नज़र लागल धन के,
कि छुट्टी नाही मिलत बडूवे एहि बारी।।
ई बबुआ हमार सुकुँवार बाड़न माई,
कि फौज क नियम कईसे सहेलन हो।
हमरा के केलवा के घार के लेई आईं,
कि ललना हमार नाहीं अईलन हो।।
एकहि निहोरा बाटे हमर छठी मईया,
कि खुस रखीं रहे जी उल्लास हो।
जवन करम करे गईलें हमर थाती,
तू ओकरा के कर सगरे पास हो।।
कईलन वरत मईया जेहि सुधि लेई,
उ जियत जिनगिया सुख पईलन हो।
के के कहीं कि रउआ दउरा उठाईं,
कि ललना हमार नाहीं अईलन हो।।
अबके बा मुश्किल माई बड़ी भारी,
घटवा पे भले हम पाईम नर नारी।
गितिया हम तोहरो मनवा से गाईम,
तबो राह ललना क नयना निहारी।।
कर द जतन कउनो ऐईसन मईया,
देखीं सुपवा थमावे लाल रहलन हो।
के के कहीं कि चली अरघ दियाईं,
कि ललना हमार नाहीं अईलन हो।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २२/१०/२०२२)