छंद मुक्त -गीत-अहम
छंद मुक्त गीत
अहम ना करना,गर जो खुशियों का लगा हो मेला
चमक- दमक में खोता है अक्सर दुनिया का रेला।
वक्त सगा ना किसी का हुआ सदैव तुम याद रखना
हिसाब- किताब का साॅंचा मुनीम जरा तो संभलना।
आपदा-विपदा के आगमन का भान हो जाए अगर
हो चाहे अगम सब रोक पाने में सक्षम हो जाए मगर।
दीन-हीन को अन्न-आश्रय का मिल जाए जो सहारा
दुनिया से विदा ना होगा वो गरीबी-भूखमरी से बेचारा।
यदि आसरा बनोगे किसी का भरपूर दुआएं मिलेंगी
बद्दुआएं और हाय से बदनसीबी कभी ना दूर होगी।
सोच-विचार कर लिया निर्णय पासा पलट कर देगा
बिगड़ी हुई तक़दीर भी हिम्मत -मेहनत से संवार लेगा।
अदृश्य शक्ति की आस्थाएं चमत्कार दिखाया करती
होनी-अनहोनी को टालकर वो भाग्य -रेखा बदलती ।
अक्सर दूसरे की पहचान से जो मुकाम बनाने में जुटते
अपने व्यक्तित्व की अहमियत वो खुद ही गंवाया करते ।
योगमाया शर्मा
कोटा राजस्थान