चौमासा (चातुरमास)
देवश्यनी से सो जाते
जगत पिता विष्णु भगवान ।
चार माह की योग निद्रा
कहते सारे वेद पुरान।।
सृष्टि संचालन की व्यवस्था
शंकर जी पर आ जाती ।
देवश्यनी एकादशी से
त्रिलोक ड़मरू बज जाती।
सभी देव करते शिव पूजन
देवाधिदेव का निज आॅगन ।
मांगलिक कार्य सभी धरा के
रुकते सिर्फ एक आराधन।
इन्द्र देव मान अनुशासन
मेघ छाया से रचते वितान ।
देवश्यनी से सो जाते
जगत पिता विष्णु भगवान ।।
शंकर भोले निकल पड़े हैं
धरा धाम छाई हरियाली ।
नर नारी सब खुश होते हैं
देख फसल की सुंदर बाली।
साधु संत जन भ्रमण रोकते
सतसंग चलाने करते वास ।
धरा धाम की गली गली में
कथा भागवत होता खास।
धर्म कर्म व्यवहार सिखाते
चातुर मास का यही विधान ।
देवश्यनी से सो जाते
जगत पिता विष्णु भगवान ।।
देव उठनी एकादशी तक
त्योहार की होती भरभार।
गणेश कन्हैया दुर्गा माता
जग के हरते कष्ट अपार ।
चौमासे की धर्म साधना
फलदायक मानी जाती ।
जो जन भजता श्रद्धा भाव से
भक्ति जीवन में आ जाती ।
देव उठनी से नई शुरुआत
पाते सुख समृद्धि वरदान ।
देवश्यनी से सो जाते
जगत पिता विष्णु भगवान ।।
राजेश कौरव सुमित्र