चौबीस मार्च, 2004 की चोरी
अखबार में आई है खबर
किसीने चोरी की है
गुरुदेव की नोबेल पुरस्कार,
जो स्मृति थी उनके योगदान की
एक यादगार था उनके महानता की,
अपने गुलाम देश के लिए
उन्होंने जिसे हासिल किया था
आज शायद उस स्मृति की
किसी को जरूरत नही,
क्योंकि आज यह मुल्क आजाद है(?)
उन्नति के शिखर पर पहुंच गई है (?)
शायद इसलिए आज लोग
पुराने स्मृतियाँ एवं उनकी महत्व
भूल रहे है, या शायद
उसकी आज किसी को
जरूरत रही नही !