चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत—-
16/16 मात्रा
सृजन पंक्ति- कर्म जगत में कर ले ऐसा l
जीवन चमके हीरे जैसा ।
कर्म जगत में कर ले ऐसा ।।
संग न कौड़ी भी है जाती।
माया ही मन को भरमाती ।।
करते क्यों हो पैसा पैसा ।
कर्म जगत में कर ले ऐसा ।।
करते रहते जग से धोखा।
भगवन रखते लेखा जोखा ।।
मानुष तन है पारस वैसा ।
कर्म जगत में कर ले ऐसा ।।
प्रेम भाव मे हृदय लगा ले ।
गीत भक्ति के बस तू गा ले ।।
समय न जाने आये कैसा।
कर्म जगत में कर ले ऐसा ।।
कर्म कभी नहिँ निष्फल जाता ।
करनी का फल आगे आता ।।
मिलता है जैसे को तैसा ।
कर्म जगत में कर ले ऐसा ।।
सीमा शर्मा ‘अंशु’