चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत—-
सृजन पंक्ति- मास सुहाना सावन लगता
गर्मी की सब पीड़ा हरता ।
मास सुहाना सावन लगता ।।
बारिश की जब बूंदे पड़ती।
सुंदर कलियां खूब चटकती ।।
पत्ता पत्ता झूमे रहता ।
मास सुहाना सावन लगता ।।
काले बादल अंबर छाते ।
धरती की वो प्यास मिटाते ।।
कौना कौना मोहक सजता ।
मास सुहाना सावन लगता ।।
हाथों में मेहंदी सजती ।
प्रेम हिलोरें उर में उठती ।।
पिया मिलन को मन है करता।
मास सुहाना सावन लगता ।।
शिव भोले का पूजन होता।
भक्त लगाते गंगा गोता ।।
गंगाजल शंकर पर चढ़ता।
मास सुहाना सावन लगता ।
उम्मीदों की कावड़ सजती ।
बंम बंम की लहरी बजती ।।
उत्सव सा हर पल है चलता ।
मास सुहाना सावन लगता ।।
सीमा शर्मा ‘अंशु ‘