चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत—-
सृजन पंक्ति- पुष्कर जी का मेला लगता ।
पापों का है नाशी बनता ।
पुष्कर जी का मेला लगता ।।
कार्तिक पूनम पुष्कर जाओ।
सुबह स्नान कर पुण्य कमाओ।।
कष्टों को खुद ब्रह्मा हरता ।
पुष्कर जी का मेला लगता ।।
हरियाणा में अब तुम आओ ।
हस्त शिल्प की शोभा पाओ ।।
अलग विषय का सृजन करता।
सूर्य कुंड का मेला लगता ।।
यूपी की अब टिकट कटाओ ।
आकर त्रिवेणी पाप भगाओ ।।
वेणी माधव धरा उतरता ।
कुम्भ माघ का मेला लगता ।।
महातीर्थ में होती गिनती ।
गंगा है सागर में मिलती ।।
हुबली का तट पावन बनता ।
गंगा सागर मेला लगता ।।
सीमा शर्मा ‘अंशु’