चौकड़िया छंद के प्रमुख नियम
चौकड़िया छंद प्रमुख नियम :-
1- चौकड़िया छंद में 16 – 12 मात्रा विधान में लिखा जाता है
2- चौकड़िया छंद के प्रथम चरण का प्रारंभ चौकल से ही प्रारंभ होगा (जगण 121 छोड़कर ) व 16 की यति की तुकांत चरणांत से मिलाई जाएगी |
व हर चरण में यति व चरणांत चौकल से ही किया जाता है(रगण 212 जगण 121 तगण 221 )
3 – चौकड़िया छंद चार पद(चरण) में ही लिखा जाता है , जिसकी पदांत तुकातें मिलाई जाती है। लेकिन आजकल कुछ कवि 5,6,7,8 आदि कड़ियों में भी लिखते हैं जिन्हें पंचकड़ियां,छहकडियां,अठकडियां आदि नाम से भी जाना जाता है।
4–प्रथम पद के 16 मात्रा की चौकल यति भी तुकांत में शामिल होती है।
5– अंतिम पद में कवि अपने नाम की छाप (तखल्लुस) लिखता है। –
उदाहरण :-
बुंदेली चौकडि़या -“पानी”*
*****
बिकबै, दूध भाव से पानी, नशलें नयी नशानी।
गैया कौ बौ दूध बताबै, करत सदां बेमानी।।
पानी दैकै हाथ बना रय,चतुर बढ़े रमजानी।
आय मिलौनी, कहै निपनिया,भइ राना’ हैरानी।।
***
-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी”,टीकमगढ़'(मप्र)
***
प्रस्तुति- #राजीव_नामदेव “#राना_लिधौरी” #टीकमगढ़
संपादक “#आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘#अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष #वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
#rajeev_namdeo_rana_lidhori
#jai_bundeli_sahitya_samoh_tikamgarh
#जय_बुंदेली_साहित्य_समूह