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6 Oct 2024 · 1 min read

चोरी जिसका काव्य हो , जागें उसके भाग ।

चोरी जिसका काव्य हो , जागें उसके भाग ।
उस रचना को फिर मिले, सबका ही अनुराग ।
सबका ही अनुराग, कीर्ति फिर उसको मिलती ।
गंध हीन हर बात,पुष्प के सम फिर खिलती ।
वैसे तो यह बात , लगे है बड़ी छिछोरी ।
चमके उसके भाग , हुई जो रचना चोरी ।

सुशील सरना / 6-10-24

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