चेतावनी
रह गईल बाटे
बहुत कम वक़्त
अब्बो सम्भल जो
रे कमबख्त…
(१)
मजलूम जनता
अब जागअ तिया
उलट जाई ताज
पलट जाई तख्त…
(२)
जेतने संगीन
गुनाह तें कईले
सज़ा मिली तोके
ओतने सख़्त…
(३)
इंकलाब आख़िर
होके रही
बेकार ना जाई
एक बूंद रक्त…
(४)
तोर सबसे बड़ा
उहे दुस्मन बा
ते मानेले जेके
आपन भक्त…
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Shekhar Chandra Mitra
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