चेतावनी भजन
अरी बुढ़िया, ओ माता , तुझे पांच चोरां ने लूटा।
अपनी गुदड़ी खोल देखले, अपना मनवा टटोल देखले
वहां नही री ज्ञान का बूटा। अरी बुढि़या —–
पहला चोर काम है री माता, आई जवानी कुछ नही भाता।
पति संग तेरा जुड़ गया नाता, नाता परम पिता से टूटा।
अरी बुढि़या , ——-
दूजा चोर क्रोध मे रहना, नही मिले तुझे मन के गहना।
सास ससुर को मारे ताना, भाग करम तेरा फूटा।
करी बुढि़या ——–
तीजा चोर लोभ और लालच, घर मे करै कोरचा कालच।
देवर ननद बडी़ और छोटी, का तूने भला कभी नहीं सोचा।
अरी बुढि़या———
चौथा पांचवा मोह अहंकारा, इनको समझा मित्र प्यारा।
एम० सिंह इन सबके कारण, कुनबा तुझसे रुठा। अरी बुढि़या——–