चुनाव
चुनाव
देखा
चुनाव का दौर
प्रचार का शोर
लगा हुआ
एड़ी-चोटी का जोर
किसी को बेचा
किसी को खरीदा
शह-मात का खेल
शेर-बकरी का मेल
किसी को रिझाया
किसी को लुभाया
बेले पापड़
हर तिकड़म लड़ाया
साम-दाम
दंड-भेद
सब आजमाया
किसी को हंसाया
किसी को रुलाया
मात्र चुनाव जीतकर
हराम का
खाने के लिए
-विनोद सिल्ला©