चुनावी तालाब
चुनावी तालाब
आज फिर
हुआ प्रतीत
कि जैसे मैं
इंसान नहीं
चुनावी तालाब की
मछली हूँ
आए हैं फांसने मुझे
सफेदपोश
-विनोद सिल्ला©
चुनावी तालाब
आज फिर
हुआ प्रतीत
कि जैसे मैं
इंसान नहीं
चुनावी तालाब की
मछली हूँ
आए हैं फांसने मुझे
सफेदपोश
-विनोद सिल्ला©