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31 Jan 2022 · 3 min read

चुनावी चुटकी।

1
मिल जाता है जब टिकट,अच्छे दल के नाम
कभी-कभी करता नहीं, प्रत्याशी कुछ काम
प्रत्याशी कुछ काम,विजय मिलनी जो तय है
सिर पर सजता ताज, उसी की होती जय है
कहे ‘अर्चना’ बात, सदा किस्मत की खाता
बिना किये कुछ काम, राज्य सुख है मिल जाता

2
करना अपनी ओर है, मतदाता का ध्यान
बढ़ा चढ़ा कर कर रहे, सब दल अपना गान
सब दल अपना गान, बताते दूजे को कम
मर्यादा को भूल, दिखाते बस अपना दम
कहे ‘अर्चना’ बात,ध्यान जनता को रखना
अपना ये मतदान,समझदारी से करना

3
नेता जी करते रहे , घर बैठे आराम
बेचारे चमचे करें ,कंवेसिंग का काम
कंवेसिंग का काम, करें वो घर घर जाकर
करते खूब प्रचार ,पसीना रोज बहाकर
कहे ‘अर्चना’ श्रेय , न कोई उनको देता
जिनके बल पर राज, किया करते हैं नेता

4
दल बदलू नेता यहाँ , खेल रहे हैं खेल
कुर्सी पाने के लिये , रहे गाड़ियाँ ठेल
रहे गाड़ियाँ ठेल, झूठ बस बोल बोल कर
कैसे जनता आज, भरोसा कर ले इन पर
कहे ‘अर्चना’ बात, बनाते सबको बबलू
नहीं किसी का साथ, निभाते ये दल बदलू

5
करते सिर्फ दिखावटी ,अपनेपन की बात
नेता जी को चाहिये, वोटों की सौगात
वोटों की सौगात , लोभ जनता को देते
डाल डाल कर फूट , फायदा उसका लेते
कहे अर्चना’ बात ,नहीं दुनिया से डरते
धर्मों की दीवार , खड़ी लोगों में करते

6
मतदाता है सोच में, किसको दे वह प्यार
किसको अपना वोट दे, किसकी हो सरकार
किसकी हो सरकार,कुशल जिसका दल नायक
या वो कैंडीडेट,दिखे जो हमको लायक
कहे ‘अर्चना’ बात, भले मुश्किल में पाता
लेकिन पहले देश , जानता ये मतदाता

7
कल हमको ही देखकर, कर लेंगे वो ओट
गली गली जो घूमकर, माँग रहे हैं वोट
माँग रहे हैं वोट, जीत वो यदि जायेंगे
पाँच साल के बाद, नज़र ही फिर आयेंगे
कहे ‘अर्चना’ आज, खड़े हैं जो सिर के बल
नहीं करेंगे बात,वही सत्ता पाकर कल

8
सत्ताधारी कर रहे, खुद पर बड़ा गुमान
कार्यों का भी कर रहे, बढ़ा चढ़ा कर गान
बढ़ा चढ़ा कर गान, विपक्षी दल भी गायें
उलट सुलट इल्जाम,आज ये खूब लगाएं
कहे ‘अर्चना’ बात, भूल कर जिम्मेदारी
खेल रहे हैं खेल , विपक्षी – सत्ताधारी

9
जैसे जैसे आ रही, चुनाव तिथि अब पास
वैसे वैसे ही यहाँ,,कम हो रही मिठास
कम हो रही मिठास, बात में नेताओं की
और रही है टूट, कमर भी गरिमाओं की
कहे ‘अर्चना’ बात,चुभें ये दिल में ऐसे
छूट रहे हों तीर, कमानों से अब जैसे

10
पाँच वर्ष की डॉक्टरी,कठिन बहुत है यार
शिक्षक पढ़ता ही रहे ,नेता बस दिन चार
नेता बस दिन चार , जरूरी नहीं पढ़ाई
खानदान की रीति , देश में चलती आई
कहे ‘अर्चना’ बात , ज़िन्दगी बड़े हर्ष की
नेता लेते जीत , कुर्सियाँ पाँच वर्ष की

11
धीरे धीरे बढ़ रहा, राजनीति का रोग
गली गली हर द्वार पर , घूम रहे हैं लोग
घूम रहे हैं लोग, दर्द दिल में भारी है
ढूँढ रहे हैं वैद्य, चुनावी बीमारी है
कहे ‘अर्चना’ बात, दूर नदिया के तीरे
वोटों की ये प्यास, बुझेगी धीरे धीरे

12

आओ करते हैं सभी , हम अपना मतदान
हमको होना चाहिये, कर्तव्यों का भान
कर्तव्यों का भान, हमारा लोकतंत्र है
सबकी हो पहचान,हमारा सिद्धमंत्र है
कहे ‘अर्चना’ बात, न पीछे कदम हटाओ
सर्वप्रथम मतदान, सुनो अपना कर आओ
डॉ अर्चना गुप्ता

बगला भगत बने हुये, बोले झूठ सफेद
नेताओं को पर नहीं,होता बिल्कुल खेद
होता बिल्कुल खेद, चुनावी हथकंडे कंडे हैं
जब भी छिड़े चुनाव,नये इनके फंडे हैं
कहे’अर्चना’ बात, न देखें पिछला अगला
खड़े जोड़ अब हाथ, भगत बन जैसे बगला

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

मुक्तक नेता पर

1
धोती कुर्ता सर पर टोपी, नेता की पहचान
अपनी जेबों को भरने का इनको आता ज्ञान
बातों में तो खूब झलकती , वादों की भरमार
नहीं देश की चिंता इनको, बस पैसा ईमान

2

हर ओर ही नेताओ का चर्चा है आजकल
हाथों में इनके वादों का पर्चा है आजकल
कुर्सी दिखा रही इन्हें सपने बड़े – बड़े
फिलहाल हो रहा बड़ा खर्चा है आजकल

राजनीति पर दोहे
*************
राजनीति के मंच पर, कैसे कैसे खेल
गठबंधन में दीखते, उल्टे सीधे मेल

राजनीति के सामने, जनता है लाचार
कैसे होगा देश का, अब बोलो उद्धार

सारे दल ही गा रहे, अपने अपने गान
पर नेता जी छेड़ने , लगे पुरानी तान

सत्ता की देना नहीं,उनके हाथ कमान
धर्मों में जो बाँटते ,अपना हिंदुस्तान

राजनीति के मंच पर, मचा हुआ है शोर
सारे नेताकह रहे, इक दूजे को चोर

राजनीति में हो रहे नित ही नये प्रपंच
एक अखाड़ा हो गया,राजनीति का मंच

21-04-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

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