चिराग
जल उठेंगे बुझे चिराग जलाकर देखो।
खुद के दामन में लगे दाग़ मिटाकर देखो।।
आप रोए तो सदा रोए सिर्फ अपने लिए।
गैर के दर्द में अश्कों को बहाकर देखो।।
आप ने की है इबादत तो सिर्फ अपने लिए।
कभी गैरों केलिए रब से दुआ कर देखो।।
स्वर्ण कुंदन ये बने बार बार तपने से।
खुद को सोने की तरह आप तपाकर देखो।।
बीज नफरत के कईबार यहां पर बोये।
प्रेम की पौध एकबार उगाकर देखो।।