चिड़िया
बाल- गीत
मुँह में दाने लेकर लाई,
देखो बच्चों चिडिया आई।
बैठ डाल पर देख रही
घोसला पहचान रही
नहीं दिखा कोई संकट
प्रवेश किया तब निष्कंटक
हर बार करती चतुराई
देखो बच्चों चिड़िया आई ।
खिला रही बच्चों को दाना
मन उसका अभी न माना
फिर उसने बाहर को देखा
बार बार करती मन लेखा
कहती सबको गले लगाई
देखो बच्चों चिड़िया आई ।
कौआँ दुश्मन है हमारा
कई बच्चों को उसने मारा
छिप छिप कर ही मैं आती
चील बाज सब ओछी जाती
बचा रही मैं तुम्हें छिपाई
देखो बच्चों चिड़िया आई ।
जोर जोर से नहीं बोलना
बाहर जाकर नहीं खेलना
पंख लगे तक डरके रहना
बच्चों मानो मेरा कहना
बाद गगन में भरे उड़ाई
देखो बच्चों चिडिया आई।
फुर्र फुर्र चिड़िया उड़ती
हर बार दाने कुछ चुगती
चोंच भरे बच्चों पर जाती
पालन पोषण धर्म निभाती
माँ की ममता कही न जाई
देखो बच्चों चिड़िया आई ।
राजेश कौरव सुमित्र