चाह है आसमान की
आसमान से नाता है मेरा
इस जमीन से कोई लगाव नहीं मुझे
लोगो को इस जमीन पर कब्जा करना है
और मुझे इससे कोसो दूर का सफर तय करना है
लोगो को इस जमीन पर हिस्सा चाहिए
और मुझे जमीन पर नहीं आसमान पर अपना हिस्सा चाहिए
जमीन पर तो हम पैदा होते ही हैं
तो चाह है आसमान की
चाह है उन बादलों की जो सवार है आसमान की छत पर
चाह है उस इंद्रधनुष की जो झूलता है आसमान की बाहों मे
चाह है उन बूंदों की जो निकलती है आसमान के सीने से
चाह है आसमान की
चाह है आसमान की।।