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??*” चाहत”* ??
तेरी चाहत ने साँवरे सब कुछ भुला दिया ।
काँटों भरी ये जिंदगी में फूल बिछा दिया ।
उलझा हुआ सा मन मेरा तूने सुलझा दिया।
ये दर्द भरी आहें को खुशियों में लुटा दिया ।
वो सुबह शाम तेरे नाम की माला जपूँ एक शमां बंधा दिया ।
फिजा में रंग घुली घटाओं ने रंगीन शमां बना दिया ।
चाहत का कोई पैमाना नजर आये न छलकता जाम सा नशा चढ़ा दिया।
ये वक्त जरा ठहर जा तेरी चाहत में सुखद सुकून दिला दिया।
दर्द भरे जख्मों में सांसों की धड़कन को टिका दिया ।
सपनों में उम्मीद का दामन थाम हकीकत में अंजाम दे दिया।
दुनिया तेरे बगैर साँवरे कुछ भी न दिखाई दिया ।
जिंदगी की खातिर मेरे साँवरे तेरी चाहत में सब दाँव लगा दिया।
धागा जो ये बंधन का चाहत में हमको बांध दिया।
दिल में बसी जो मूरत साँवरे तेरी चाहत ने अच्छा सिला दिया।
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शशिकला व्यास
भोपाल*मध्यप्रदेश*