Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Jun 2019 · 1 min read

***

??*” चाहत”* ??
तेरी चाहत ने साँवरे सब कुछ भुला दिया ।
काँटों भरी ये जिंदगी में फूल बिछा दिया ।
उलझा हुआ सा मन मेरा तूने सुलझा दिया।
ये दर्द भरी आहें को खुशियों में लुटा दिया ।
वो सुबह शाम तेरे नाम की माला जपूँ एक शमां बंधा दिया ।
फिजा में रंग घुली घटाओं ने रंगीन शमां बना दिया ।
चाहत का कोई पैमाना नजर आये न छलकता जाम सा नशा चढ़ा दिया।
ये वक्त जरा ठहर जा तेरी चाहत में सुखद सुकून दिला दिया।
दर्द भरे जख्मों में सांसों की धड़कन को टिका दिया ।
सपनों में उम्मीद का दामन थाम हकीकत में अंजाम दे दिया।
दुनिया तेरे बगैर साँवरे कुछ भी न दिखाई दिया ।
जिंदगी की खातिर मेरे साँवरे तेरी चाहत में सब दाँव लगा दिया।
धागा जो ये बंधन का चाहत में हमको बांध दिया।
दिल में बसी जो मूरत साँवरे तेरी चाहत ने अच्छा सिला दिया।
?????
शशिकला व्यास
भोपाल*मध्यप्रदेश*

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 254 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"" *आओ गीता पढ़ें* ""
सुनीलानंद महंत
मधुर स्मृति
मधुर स्मृति
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
संस्कृति
संस्कृति
Abhijeet
मेघाें को भी प्रतीक्षा रहती है सावन की।
मेघाें को भी प्रतीक्षा रहती है सावन की।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
माँ
माँ
Dinesh Kumar Gangwar
दिल की दहलीज़ पर जब भी कदम पड़े तेरे।
दिल की दहलीज़ पर जब भी कदम पड़े तेरे।
Phool gufran
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
ख़ूबसूरत लम्हें
ख़ूबसूरत लम्हें
Davina Amar Thakral
काल का पता नही कब आए,
काल का पता नही कब आए,
Umender kumar
■ गाली का जवाब कविता-
■ गाली का जवाब कविता-
*प्रणय प्रभात*
हम बिहारी है।
हम बिहारी है।
Dhananjay Kumar
बुंदेली दोहा बिषय- बिर्रा
बुंदेली दोहा बिषय- बिर्रा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
23/158.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/158.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
,,,,,,,,,,?
,,,,,,,,,,?
शेखर सिंह
*आँसू मिलते निशानी हैं*
*आँसू मिलते निशानी हैं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"रंग भले ही स्याह हो" मेरी पंक्तियों का - अपने रंग तो तुम घोलते हो जब पढ़ते हो
Atul "Krishn"
कविता ही तो परंम सत्य से, रूबरू हमें कराती है
कविता ही तो परंम सत्य से, रूबरू हमें कराती है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दहेज़ …तेरा कोई अंत नहीं
दहेज़ …तेरा कोई अंत नहीं
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
तुम्हारे अंदर भी कई गुण होंगे,
तुम्हारे अंदर भी कई गुण होंगे,
Ajit Kumar "Karn"
Love is some time ❤️
Love is some time ❤️
Otteri Selvakumar
बहुत सुना है न कि दर्द बाँटने से कम होता है। लेकिन, ये भी तो
बहुत सुना है न कि दर्द बाँटने से कम होता है। लेकिन, ये भी तो
पूर्वार्थ
हवाओ में हुं महसूस करो
हवाओ में हुं महसूस करो
Rituraj shivem verma
एकाकीपन
एकाकीपन
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
मैं प्रभु का अतीव आभारी
मैं प्रभु का अतीव आभारी
महेश चन्द्र त्रिपाठी
सकारात्मक सोच
सकारात्मक सोच
Dr fauzia Naseem shad
पतझड़ सी उजड़ती हुई यादें भुलाई नहीं जाती है
पतझड़ सी उजड़ती हुई यादें भुलाई नहीं जाती है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आदतें
आदतें
Sanjay ' शून्य'
विवशता
विवशता
आशा शैली
*जब आयु साठ हो जाती है, वृद्धावस्था जब छाती है (राधेश्यामी छ
*जब आयु साठ हो जाती है, वृद्धावस्था जब छाती है (राधेश्यामी छ
Ravi Prakash
चंचल मन चित-चोर है , विचलित मन चंडाल।
चंचल मन चित-चोर है , विचलित मन चंडाल।
Manoj Mahato
Loading...