चाहत की तलाश
हमको भी देखो ।
हमे भी पढो न ।
कोई तो आओ न ।
मन है उदास ।
न जाने क्यूं ।
कोई तो आकर बहलाओ न ।
जी सकता नही हूं मै ।
तेरे बैगर तू सोच ले ।
पर है कैसी तू निर्मम बनी ।
कुछ आके मुझे भी देख ले ।
लगता है तेरे चाहत मे ऐसे ।
राहत को भी भूल चुका हूं ।
दिल है कि मेरा ये माने न ।
तुझसे नाता जोङ चुका हूं ।
भटके गलियो मे न जाने ।
कैसी ये उङती तितली सी ।
है पुष्प की तलाश उसे ।
बेसुध और क्लेश मे।
कोई तो दिखा दो मंजिल उसकी ।
इस दुनिया के कोने में ।
कुछ भी न नही मै जानता ।
कोई तो आके मुझको बता दो ।
हमको भी कोई पढो न ।
नित सफलता की सीढी चढो न ।
बस शब्द का तुम मेरे मतलब निकाल लो ।
Rj Anand &Vinamra