चाहतों के कुतर दे पर चाहे
चाहतों के कुतर दे पर चाहे
जी उठूँगा मैं तू अगर चाहे
सल्तनत ग़म की जिसको मिल जाये
फिर वो खुशियों का क्यों नगर चाहे
मैं तो चाहूँगा उम्रभर तुझको
चाहे तू उसको उम्रभर चाहे
जानता हूँ कि बेवफ़ा है तू
फिर भी दिल तुझको हमसफ़र चाहे
तेरा आशिक़ कफ़न में लिपटा है
देखना तुझको इक नज़र चाहे