*चाय (कुंडलिया)*
चाय (कुंडलिया)
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पहले कप से चाय के ,खुलती कहाँ खुमार
चस्का जिसको लग गया ,पीता है दो बार
पीता है दो बार , दूसरा चषक जगाता
पेय चाय क्या वाह , पात्र मस्ती ले आता
कहते रवि कविराय ,जमाना कुछ भी कह ले
सुबह चाहिए चाय ,नहाकर सबसे पहले
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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चषक = प्याला