चांद का मेला
नभ ये उपवन सा सजेगा देखना कल रात मे,
प्रेम रूपी गुल खिलेगा देखना कल रात मे।
आ रही है सज संवरकर कल शहर मे महज़बीं,
चांद का मेला लगेगा देखना कल रात मे।
-सिवा संदीप गढवाल
नभ ये उपवन सा सजेगा देखना कल रात मे,
प्रेम रूपी गुल खिलेगा देखना कल रात मे।
आ रही है सज संवरकर कल शहर मे महज़बीं,
चांद का मेला लगेगा देखना कल रात मे।
-सिवा संदीप गढवाल