चांदनी चकोर सा रिश्ता तेरा मेरा
चांदनी-चकोर सा रिश्ता तेरा मेरा,
चांदनी चकोर सा रिश्ता तेरा मेरा,
रिश्ते को खूबसूरती से निभाने लगा
पहले से ज्यादा अब क्यों चाहने लगा !!
दिल की गुफ्तगू को यूं बतलाने लगा
ख्वाबों मैं आ करके क्यों सताने लगा !!
मुझ पर दिल क्यों तेरा डगमगाने लगा
रास्तों में बार-बार अब आने जाने लगा !!
छोटी-छोटी बात पर मुस्कुराने लगा
अंदर ही अंदर इश्क को जताने लगा !!
कवि दीपक बवेजा